प्रतापगढ़
चाय, समोसा, टिकिया की रेट से भी सस्ती बिक रही हैं फर्जी मिठाइयां !
दूध और खोये के बिना एक बूंद पड़े एक खास सिंथेटिक मेटिरियल से तैयार हो जाती है छेने खोये की फर्जी मिठाई।
लागत मूल्य रसगुल्ला राजभोग 6-7 रुपए व 75 रु में निर्मित होने वाला कलाकंद छेना,बर्फी, मिल्ककेक के मिलते जुलते भ्रामक नाम की हर किस्म की रेडीमेड फर्जी मिठाईयां होलसेलरों के पास उपलब्ध हैं जिन्हें इनके ऐजेंट दुकानदार पैकेट से निकाल कर सजावट करके स्वनिर्मित बता कर 350/- रु किलो में बेचते हैं। खाली पैकेट और गत्ते को ग्राहक की निगाह से छिपा कर रखते हैं अन्यथा राज खुलने का डर रहता है।
फ़ूड विभाग की निष्क्रियता
रेडीमेड फर्जी मिठाइयों का जिले के हर बाजार व ग्रामीण चौराहे तक है सप्लाई! पिछले रक्षाबंधन में भी हुई थी लगभग पांच करोड़ रुपए के माल की आपूर्ति।
नगर कोतवाली के मकंदूगंज घंटाघर चौकी क्षेत्र सहित पूरे जिले में हैं रेडीमेड फर्जी मिठाइयों की दर्जनों होलसेल दुकानें जो छिप छिपाकर हो रही हैं संचालित। इनके सैकड़ों ऐजेंट हर बाजार में छोटी दुकानों की आड़ में करते हैं मार्केट में आपूर्ति।
एक विशेष सिंडीकेट की सेटिंग गेटिंग से संरक्षित इन ऐजेंटों की छद्म दुकानों को छोटा कारोबारी कह फूड विभाग करता है जांच पड़ताल से इग्नोर।
फूड विभाग की जांच सड़कों की दुकानों तक रहती है सीमित जबकि होलसेलरों के गोदामों में रक्खें है करोड़ों के रेडीमेड फर्जी मिठाइयों के गत्ते व टीनबंद प्रोडक्ट।
जो फूड लाइसेंस स्वनिर्मित मिठाइयों के लिए जारी किया जाता है उसी लाइसेंस पर बेची जाती है कानपुरिया रेडीमेड फर्जी मिठाई।
डेयरियों, दूधियों व दूध खोये के स्वनिर्मित प्रोडक्ट बेचने वाले दुकानदारों की गुणवत्ता जांच करने के साथ साथ बिना दूध खोये से बनने वाले इन 75 रूपए किलो वाली रेडीमेड फर्जी मिठाइयां किस राॅ मीटिरियल से बने हैं इसकी भी हकीकत जनता के सामने जाहिर करें अधिकारी।