Outsourcing Bharti Apply now: अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में चतुर्थ श्रेणी के पदों पर चल रही आउटसोर्सिंग व्यवस्था को लेकर एक नया प्रस्ताव सामने आया है | इस प्रस्ताव में कहा गया है कि इन पदों पर नियुक्त होने वाले कर्मियों के लिए योग्यता के रूप में कम से कम हाई-स्कूल उत्तीर्ण होना जरूरी होगा.
सूत्रों का कहना है कि कई सालों से चतुर्थ श्रेणी पदों पर नियुक्तियां अक्सर आउटसोर्सिंग के जरिए ही की जा रही थीं. इन पदों में सफाईकर्मी, चपरासी, लैब सहायक या अन्य सहायक स्टाफ शामिल रहे हैं. बहुत से कर्मी ठेकेदारों या एजेंसियों के जरिए नियुक्त किए गए, जिनके पास नियमित सरकारी कर्मियों की तरह सुरक्षा या सुविधाएं नहीं थीं. कई बार इन कर्मियों को बहुत कम वेतन पर काम करना पड़ता था. कुछ कर्मियों ने शिकायत की कि उन्हें निर्धारित न्यूनतम वेतन भी समय पर नहीं मिलता था. कई स्कूलों में तो ठेकेदार सीधे भुगतान नहीं करते थे, जिससे कर्मियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था.
सरकार और शिक्षा विभाग ने इन समस्याओं पर गौर किया और माना कि शिक्षा संस्थानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए एक न्यूनतम शैक्षिक स्तर होना चाहिए. इसी विचार के चलते हाई-स्कूल योग्यता को अनिवार्य करने का प्रस्ताव तैयार किया गया.
बताया जा रहा है कि इस बदलाव के पीछे मुख्य मकसद विद्यालयों में कामकाज की गुणवत्ता बढ़ाना है. जो व्यक्ति कम से कम दसवीं पास हो, वह आवश्यक कार्यों को बेहतर ढंग से समझ सकता है. उसे कम से कम पढ़ने-लिखने में दिक्कत नहीं आती. परीक्षा की कॉपियां या स्कूल से जुड़े रिकॉर्ड संभालने में वह बेहतर हो सकता है. साथ ही, यह उम्मीद भी की जा रही है कि हाई-स्कूल योग्यता वाले कर्मचारी आगे चलकर अपनी नौकरी को और अच्छी तरह से संभालेंगे.
सूत्रों ने यह भी बताया है कि इस प्रस्ताव के लागू होने से पहले कई चरणों में विचार-विमर्श किया जाएगा. शिक्षा विभाग, वित्त विभाग और विद्यालय प्रबंधन समितियां मिलकर इन बिंदुओं पर चर्चा करेंगी. यह भी देखा जाएगा कि वर्तमान में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मियों का क्या होगा. क्या उन्हें कुछ समय देकर हाई-स्कूल की पढ़ाई पूरी करने का मौका दिया जाएगा या उन्हें मौजूदा शर्तों के तहत ही हटाया जाएगा ? इस बात पर भी असमंजस है कि क्या नई भर्ती प्रक्रिया में केवल हाई-स्कूल पास अभ्यर्थियों को ही चयनित किया जाएगा या पहले से काम कर रहे कर्मियों को रियायत मिलेगी ? कई कर्मियों ने मांग की है कि जो पहले से काम कर रहे हैं, उन्हें सेवा जारी रखने की अनुमति मिलनी चाहिए, क्योंकि वे वर्षों से विद्यालयों की सेवा कर रहे हैं|
आउटसोर्सिंग एजेंसियों के लिए यह बदलाव एक नई चुनौती बन सकता है. उन्हें अब ऐसे उम्मीदवारों को लाना होगा, जो हाई-स्कूल पास हों. इससे एजेंसियों को भी अपने चयन मानदंड बदलने पड़ेंगे. कुछ एजेंसियों का कहना है कि अब भर्ती करना थोड़ा कठिन हो जाएगा, क्योंकि छोटे कस्बों या ग्रामीण क्षेत्रों में कई बार हाई-स्कूल पास उम्मीदवार भी अन्य कामों की तलाश में रहते हैं. अगर उन्हें कहीं बेहतर वेतन मिलता है, तो वे चतुर्थ श्रेणी के पद पर आने से हिचकिचा सकते हैं. हालांकि, कुछ एजेंसियों का मानना है कि अगर सरकार स्पष्ट वेतनमान और सुविधाएं तय करे, तो योग्य उम्मीदवारों को आकर्षित किया जा सकता है. इससे काम की गुणवत्ता भी बेहतर होगी, और स्कूलों में अनुशासन भी बढ़ेगा.
इन तमाम चर्चाओं के बीच शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने संकेत दिया है कि अंतिम निर्णय जल्द ही लिया जाएगा. जब भी यह प्रस्ताव पूरी तरह से लागू होगा, तो स्कूलों को निर्देश भेजे जाएंगे. तब तक, आउटसोर्सिंग के जरिए चल रही मौजूदा भर्तियां जारी रहेंगी, लेकिन नई शर्तों को लागू करने के लिए एक निश्चित समयसीमा तय की जा सकती है.
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